A Secret Weapon For baglamukhi shabar mantra

Baglamukhi’s power is claimed for being her magical attraction, to immobilize and strike the enemy. A further strength of Mahavidya Baglamukhi is to fulfill the needs of devotees.

ऋषि श्रीअत्रि द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

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अर्थात् सुवर्ण जैसी वर्णवाली, मणि-जटित सुवर्ण के सिंहासन पर विराजमान और पीले वस्त्र पहने हुई एवं ‘वसु-पद’ (अष्ट-पद/अष्टापद) सुवर्ण के मुकुट, कण्डल, हार, बाहु-बन्धादि भूषण पहने हुई एवं अपनी दाहिनी दो भुजाओं में नीचे वैरि-जिह्वा और ऊपर गदा लिए हुईं, ऐसे ही बाएँ दोनों हाथों में ऊपर पाश और नीचे वर धारण किए हुईं, चतुर्भुजा भवानी (भगवती) को प्रणाम करता हूँ।

राजा विक्रमादित्य को दिए थे दर्शन मां बगलामुखी देवी ने, पढ़ें कहां और कैसे

ॐ ह्रीं बगलामुखि! जगद्वशंकरी! मां बगले प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ स्वाहा।

Baglamukhi can be a deity in Hinduism associated with the power of know-how and victory. This Mantra is a form of mantra that is thought to generally be very productive and is commonly chanted for specific needs.

The mantra has Bheej sounds of Baglamukhi. It prays the goddess to make the enemies ineffective by arresting their vicious speech, ft and intelligence. When their actions are limited, they are able to under no circumstances act versus you.

युवतीं च मदोन्मत्तां, पीताम्बरा-धरां शिवाम् । पीत-भूषण-भूषाङ्गीं, सम-पीन-पयोधराम्॥

वास्तव में शाबर-मंत्र अंचलीय-भाषाओं से सम्बद्ध होते हैं, जिनका उद्गम सिद्ध उपासकों से होता है। इन सिद्धों की साधना का प्रभाव ही उनके द्वारा कहे गए शब्दों में शक्ति जाग्रत कर देता है। इन मन्त्रों में न भाषा की शुद्धता होती है और न ही संस्कृत जैसी क्लिष्टता। बल्कि ये तो एक साधक के हृदय की भावना होती है जो उसकी अपनी click here अंचलीय ग्रामीण भाषा में सहज ही प्रस्फुटित होती है। इसलिए इन मन्त्रों की भाषा-शैली पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आवश्यकता है तो वह है इनका प्रभाव महसूस करने की।

ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बागला प्रचोदयात

खड्ग-कर्त्री-समायुक्तां, सव्येतर-भुज-द्वयाम् । कपालोत्पल-संयुक्तां, सव्य-पाणि-युगान्विताम् । ।

गदा, २. पाश, ३. वज्र और ४. शत्रु की जीभ धारण किए हैं, दिव्य आभूषणों से जिनका पूरा शरीर भरा हुआ है-ऐसी तीनों लोकों का स्तम्भन करनेवाली श्रीबगला-मुखी की मैं चिन्ता करता हूँ।

पीताम्बर-धरां देवीं, पीत-पुष्पैरलंकृताम् । बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, मदाघूर्णित-लोचनाम् ।।

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